क्या प्रार्थना और सच्ची भावना सकारात्मक ऊर्जा बढाती है?

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प्रार्थना या मन्त्र यह ऐसा विषय है जिसके बारे मे हम सभी जानते हैं और कोई न कोई मन्त्र जाप या प्रार्थना हम अक्सर करते भी है।

यहाँ हम बात करेंगे विज्ञान के बारे मे, आखिर किस प्रकार से यह मन्त्र और प्रार्थना का विज्ञान कार्य करता है, और इनके क्या लाभ है या किस प्रकार ज्यादा से ज्यादा लाभ लिया जा सकता है।

जैसा की हम सब जानते है यह सारा जगत एक परम शक्ति या परम तत्व से बनता है यानि एक सूत्र मे बंधा हुआ है। सारी सृष्टि प्रकृति के नियमानुसार चलती है, और हम सभी जीव और पदार्थ प्रकृति के नियम का अनुशरण करते हैं। यह सब भूमिका बतलाने से सन्दर्भ है कि सारा जगत एक ही है भले ही अलग अलग प्रतीत होता है। यह भी एक व्यापक विषय है जिसको आगे विस्तार से बताया जायेगा।

इस सृष्टि मे जो भी हम जीव या प्रत्येक पदार्थ है सबको ऊर्जा की आवश्यकता होती है और एक परम तत्व या ईश्वर ही ऊर्जा के स्रोत हैं। प्रकृति के नियम अनुसार सब एक दूसरे से परस्पर ऊर्जा प्राप्त करते है और अपने अपने कार्यक्षेत्र में ऊर्जा का उपयोग करते है। यह ऊर्जा की कार्यप्रणाली बिलकुल सामाजिक आदान प्रदान जैसी सी होती है अर्थात सब तत्व और जीव परस्पर एक आपसी तालमेल अनुसार ऊर्जा लेते हैं और दूसरों को देते है।

इस प्रकार यह सारा ब्रह्मांड एक ही परम तत्व से बनता है और अंततः उसी मे विलीन हो जाता है।

इस प्रकार प्रत्येक तत्व की, जीव की, अपनी ऊर्जा होती है और सभी का अपना ऊर्जा क्षेत्र होता है जिसे आभामंडल भी कहते है। यह आभामंडल भौगोलिक शरीर के चारो तरफ ऊर्जा का एक घेरा सा होता है। सामान्य आँखों से इसे देखा नहीं जा सकता, यह सुरक्षा घेरा भी होता है। 

तो इस प्रकार हम एक दूसरे तत्व, वस्तु, जीव के संपर्क मे आने से पहले इस ऊर्जा क्षेत्र के संपर्क मे भी आते हैं और इसका प्रभाव भी मानसिक व शारीरिक स्तिथि पर पड़ता है। 

ऊर्जा शारीरिक और मानसिक दशा से प्रभावित होती रहती जिसे नकारात्मक और सकारात्मक कहा जाता है। किसी प्रकार का रोग, संक्रमण या बुरी घटना और विचार ऐसी सभी ऊर्जा जो नकारात्मक प्रभाव छोड़ती है तथा ध्यान, योग, आसन, स्वच्छ्ता, शुद्ध आहार और सभी अच्छे गुण सकारात्मक प्रभाव छोड़ते हैं।

क्या प्रार्थना और सच्ची भावना सकारात्मक ऊर्जा बढाती है?

हम जो भी वस्तु उपयोग करते है, खाने पीने की, जिनके संपर्क में रहते है हमारे परिवार और मित्र लोग, पालतू जानवर, पेड पौधे सभी की ऊर्जा का प्रभाव हम पर पड़ता है।

हमारे कार्य करने का तरीका, सोच विचार और मानसिकता से जैसे माहौल पर्यावरण मे हम रहते है वैसी ही हमारी ऊर्जा गति करने लगती है।

जैसे आप दूसरों का नुक्सान करते है या विचार करते है, दुसरो के प्रति आपराधिक व्यवहार करते हैं, हिंसा झूठ किसी का हक मारना, ये सभी आपके ऊर्जा क्षेत्र को नकारात्मक कर देता है। इतना ही नहीं बार बार दुसरो को कोसते रहना या सिर्फ नकारात्मक विचार रखना कई बार तो बिना वजह जलन रखने वाले लोगो के विचार भी आपकी ऊर्जा क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव करते है।

किसी न किसी प्रकार से सकारात्मक या नकारात्मक ऊर्जा का अनुभव हमने अवश्य ही किया है यही नहीं आमतौर पर किसी न किसी बीमारी या समस्या से भी हम पीड़ित हैं जिसके विषय मे किसी चिकित्सक का विश्लेषण भी पूर्ण तरह हमें संतुष्टि नहीं देता। जीवन मे कितनी ही बीमारी और समस्या के लिए हम आत्मीय तौर पर भी इतने टूट जाते हैं कि कोई मंदिर-मस्जिद, देवी-देवता और भी कितने ही प्रकार के उपाय के बाद भी कोई छूटकारा नहीं मिलता है।

आईये कुछ कारणों और पहलुओं पर नजर डालते जो मैंने स्वयं के अनुभवः और कुछ अपने आध्यात्मिक गुरुओ से प्राप्त ज्ञान और क्रियाओं के द्वारा अनुभवः किये हैं।

आपने जीवन मे यह महसूस किया होगा जब किसी मित्र की परिवार के या किसी नजदीकी व्यक्ति की कुछ बाते-ताने आपको मानसिक स्तर पर बहुत अंदर तक चौट देती है, और इसका न आप विरोध कर पाते है न कुछ प्रतिक्रिया ही करते हैं किन्तु ये एक खराब याद की तरह कही न कही स्तिथ हो जाती है। जब भी हम दुबारा इसी प्रकार की घटना के संपर्क मे आते हैं तो पुरानी यादें भी मस्तिष्क में कौंधने लग जाती हैं। 

कई बार आपने किसी जानवर के प्रति किसी पेड पौधे के प्रति लगाव महसूस किया हो या कोई ऐसा वाकया रहा हो जहाँ कुछ हिंसक नकारात्मक प्रकार का आपका अनुभवः हो।

जीवन मे कोई ऐसा कार्य जो आपको जिम्मेदारी लगता हो पर आपने खुद को असफ़ल पाया हो, किसी व्यक्ति वस्तु से आत्मीय जुड़ाव रहा हो।

यही नहीं और भी इसी प्रकार के कितने ही अनुभवः हम जीवनकाल मे करते हैं। 

अब इसके आगे की चर्चा करते है जो ऊर्जा के क्षेत्र की गंभीरता को बताती है। एक जीवनकाल की कुछ घटनाओं और मानसिक चोट पर जो मैंने आपको बाते बतायीं ये सभी हमारे अच्छे या बुरे यादों के अनुसार ही सकारात्मक या नकारात्मक ऊर्जा का रूप ले लेती है।

जो आप मानसिक तौर पर सोचते हैं या अनुभवः करते हैं, स्वप्न ही क्यों न हो, मनसा वाचा कर्मणा (अर्थात मानसिक यानि सोच, वचन यानि मुँह से कही कोई बात, और शारीरिक कार्य) सभी प्रकार के कर्म फल से जो ऊर्जा निर्माण होती है वही हमारे जीवन की दशा और दिशा निर्धारित करती है। और यह ऊर्जा का क्षेत्र इतना विशाल है कि ये एक जीवनकाल के बाद भी अगले जन्मों तक भी आपको सकारात्मक या नकारात्मक घटना, बीमारियां, परिस्थिति उत्पन्न करती रहती है।

यही ऊर्जा, यादें और घटनाये हमारे मानसिक (अचेतन) संस्कार का रूप ले लेती है जो जन्म दर हमारे शऱीर की बनावट, रंग रूप, का भी निर्णय करती है। 

हालाँकि हम कितने ही अनुष्ठान या उपाय करके खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं किंतु यह सिर्फ एक भ्रम है, ये सिर्फ कुछ समय के लिये बचाव कर पाने मे ही सक्षम हो पाते हैं।

सिर्फ यदि कोई ऐसा तरीका हो जो आपके मानसिक चेतना से इन यादों को हमेशा के लिए मिटा सके, या आप हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को एक सकारात्मक रूप मे परिवर्तित कर सकते हो।

प्रार्थना करने से हमारे विचार मै न केवल सकारात्मक परिवर्तन होता है अपितु जीवन की परिस्तिथियां भी बदल जाती हैं। कठिनाईयां कम होने लगती हैं। प्रार्थना करने के लिए आपको कोई विशेष भाषा या सामग्री की आवश्यकता नहीं होती केवल आपकी सच्ची भावना से पूरे ब्रह्माण्ड की ऊर्जा आपकी प्रार्थना को पूरा करने में लग जाती है। जितना दुसरो के लिए प्रार्थना करते है सकारात्मक विचार रखते है उतना हमारे कार्य पुरे होने लगते हैं परेशानी दूर होने लगती है। बड़े से बड़ा धार्मिक अनुष्ठान दान पुण्य भी वो ऊर्जा नहीं बढाता जितनी एक छोटी सी प्रार्थना और सच्ची भावना सकारात्मक ऊर्जा बढाती है।

प्रार्थना भाव से विचार भक्ति मुक्ति शक्ति स्वयं परम तत्व की प्राप्ति होती है।

प्रार्थना से बड़ा कोई दान कोई तप कोई अनुष्ठान नहीं होता। ये आपकी भावना को पवित्र करती है और जन्मो जन्मो की परेशानियां दूर जाती रहती हैं। तो आइए मिलकर इस संसार को सभी के लिए प्रेम और शांति से भरा एक बेहतर संसार बनाये ।

हे परमात्मा! आप सभी का कल्याण करें सब प्राणियों मे प्रेम और सद्भावना हो सब और ज्ञान का प्रकाश हो जाए ।।।

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